भौतिक वैज्ञानिक तथा लेखक पाल डेवीस के अनुसार “समय” आइंस्टाइन की अधूरी क्रांति है। समय की प्रकृति से जुड़े अनेक अनसुलझे प्रश्न है।
- समय क्या है ?
- समय का निर्माण कैसे होता है ?
- गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से समय धीमा कैसे हो जाता है ?
- गति मे समय धीमा क्यों हो जाता है ?
- क्या समय एक आयाम है ?
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अरस्तु ने अनुमान लगाया था कि समय गति का प्रभाव हो सकता है लेकिन उन्होने यह भी कहा था कि गति धीमी या तेज हो सकती है लेकिन समय नहीं! अरस्तु के पास आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत को जानने का कोई माध्यम नही था जिसके अनुसार समय की गति मे परिवर्तन संभव है। इसी तरह जब आइंस्टाइन साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत के विकास पर कार्य कर रहे थे और उन्होने क्रांतिकारी प्रस्ताव रखा था कि द्रव्यमान के प्रभाव से अंतराल मे वक्रता आती है। लेकिन उस समय आइंस्टाइन नही जानते थे कि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है। ब्रह्माण्ड के विस्तार करने की खोज एडवीन हब्बल ने आइंस्टाइन द्वारा “साधारण सापेक्षतावाद” के सिद्धांत के प्रकाशित करने के 13 वर्षो बाद की थी। यदि आइंस्टाइन को विस्तार करते ब्रह्माण्ड का ज्ञान होता तो वे इसे अपने साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत मे शामील करते। अवधारणात्मक रूप से विस्तार करते हुये ब्रह्माण्ड मे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के फलस्वरूप धीमी गति से विस्तार करते हुये क्षेत्र के रूप मे अंतराल की वक्रता दर्शाना ज्यादा आसान है। हमारे ब्रह्माण्ड के सबसे नाटकीय पहलुंओ मे एक यह है कि उसका विस्तार हो रहा है और विस्तार करते अंतराल मे गति, बल तथा वक्र काल-अंतराल की उपस्थिति है।
समय एक आकस्मिक अवधारणा है। ( time is an emergent concept.) गति तथा बलों की प्रक्रियाओं के फलस्वरूप समय की उत्पत्ति होती है, लेकिन जिसे हम समय मानते है, वह एक मरिचिका या भ्रम मात्र है। हमारी स्मृति भूतकाल का भ्रम उत्पन्न करती है। हमारी चेतना हमारे आसपास हो रही घटनाओं के फलस्वरूप वर्तमान का आभास उत्पन्न करती है। भविष्य हमारी भूतकाल की स्मृति आधारित मानसीक संरचना मात्र है। समय की अवधारणा हमारे मन द्वारा हमारे आसपास के सतत परिवर्तनशील विश्व मे को क्रमिक रूप से देखने से उत्पन्न होती है।
जान एलीस मैकटैगार्ट तथा अन्य दार्शनिको के अनुसार समय व्यतित होना एक भ्रम मात्र है, केवल वर्तमान ही सत्य है। मैकटैगार्ट समय के विश्लेषण की A,B तथा C श्रृंखलांओ के लिये प्रसिद्ध है। इस समय विश्लेषण का साराशं नीचे प्रस्तुत है:
- समय के पूर्व और पश्चात के पहलू मूल रूप से समय के तीर(arrow of time) के रूप में ही है। किसी व्यक्ति का जन्म उसकी मृत्य से पूर्व ही होगा, भले ही दोनो घटनाये सुदूर अतीत का भाग हो। यह एक निश्चित संबध है; इस कारण मैकटैगार्ट कहते है कि कहीं कुछ समय से भी ज्यादा मौलिक होना चाहीये।
- समय के भूत, वर्तमान और भविष्य के पहलू सतत परिवर्तनशील है, भविष्य की घटनायें वर्तमान मे आती है तथा तपश्चात भूतकाल मे चली जाती है। यह पहलू समय की एक धारा का एहसास उत्पन्न कराता है। यह सतत परिवर्तनशील संबध समय की व्याख्या के लिए आवश्यक है। मैकटैगार्ट ने महसूस किया कि समय वास्तविक नही है क्योंकि भूत, वर्तमान और भविष्य के मध्य का अंतर(एक सतत परिवर्तनशील संबंध) समय के लिये पूर्व और पश्चात के स्थायी संबध की तुलना मे ज्यादा आवश्यक है।
स्मृति के रूप मे समय
मैकटैगार्ट का सबसे महत्वपूर्ण निरीक्षण यह था कि ऐतिहासिक घटनाओं तथा मानवरचित कहानीयों मे समय के गुण एक जैसे होते है। उदाहरण के लिये मानवरचित कहानीयों तथा भूतकाल की ऐतिहासीक घटनाओं की तुलना करने पर, दोनो मे पूर्व और पश्चात के साथ भूत, वर्तमान और भविष्य होता है, यह दर्शाता है कि भूतकाल घटनाओं की स्मृति मात्र है तथा लेखक की कल्पना के अतिरिक्त उसका अस्तित्व नही है। यदि हम कंप्युटर की स्मृति उपकरण जैसे सीडी या हार्डडीस्क मे संचित भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे मे सोचें तो यह और स्पष्ट हो जाता है।
वर्तमान” यह समय की सबसे ज्यादा वास्तविक धारणा है, लेकिन हम जिसे वर्तमान के रूप मे देखते है वह पहले ही भूतकाल हो चुका होता है। वर्तमान क्षणभंगुर है, जो भी कुछ वर्तमान मे घटित हो रहा है वह समय रेखा पर एक अत्यंत लघु बिंदु पर सीमित है और उस पर सतत रूप से हमारे भूत और भविष्य का अतिक्रमण हो रहा है।
वर्तमान किसी रिकार्डींग उपकरण का तीक्ष्ण लेज़र बिंदु या सुई है। जबकि भूत रिकॉर्डिंग माध्यम जैसे टेप या सीडी का उपयोग किया भाग है तथा भविष्य उसका रिक्त भाग।
वर्तमान हमारे मस्तिष्क मे संचित स्मृति की मानसीक जागरुकता हो सकती है। कोई व्यक्ति किसी कार्यक्रम मे जाकर भी यदि सो जाये तो वह उस घटना को पूरी तरह से भूल सकता है। अब उस घटना का उसके भूतकाल मे अस्तित्व ही नही है। यदि हम किसी घटना के प्रति चेतन न हो तो वह हमारे भूतकाल की स्मृति का भाग नही बनती है।
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