द्वार पर नीरो !

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नरम फासीवाद के सौंदर्यीकरण के वक्त़ में

(To be published in the next issue of ‘ Samakaleen Teesari Dunia’)

 

जनसंहार को अंजाम देने वाले लोग क्या बीमार मस्तिष्क और परपीड़क होते हैं।

अपनी बहुचर्चित किताब ‘आईशमैन इन जेरूसलेम: ए रिपोर्ट आन द बॅनालिटी आफ इविल’ में जर्मन-अमेरिकी दार्शनिक हाना अरेन्डट इस प्रश्न का जवाब देने की कोशिश करती हैं। एक नात्सी सैन्य अधिकारी एडॉल्फ आइशमैन जो हिटलर की हुकूमत में चली नस्लीय शुद्धिकरण की मुहिम के अग्रणी सूत्राधारों में से था, उस पर चले मुकदमे की चर्चा करते हुए वह बताती हैं कि किस तरह ऐसे घिनौने अपराधों को अंजाम देनेवाले अक्सर सामान्य, साधारण लोग होते हैं जो अपने काम को नौकरशाहाना दक्षता के साथ अंजाम देते हैं।

एक ऐसे समय में जबकि 2002 के स्याह दौर को – जब राज्य के कर्णधारों की अकर्मण्यता और संलिप्तता के चलते हजारों निरपराधों को जान से हाथ धोना पड़ा – और…

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About Rashid Faridi

I am Rashid Aziz Faridi ,Writer, Teacher and a Voracious Reader.
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