चक्रवात
******
– वे निम्न वायुदाब के केन्द्र जिसके चारों ओर बढ़ते हुये वायुदाब की समदाब रेखायें होती हैं। चक्रवात में
पवन की दिशा-परिधि से केन्द्र की ओर हेती हैं।
– उत्तार-गोलार्द्ध में यह हवा घड़ी की सुई की दिशा के विपरित गति करती हैं। ऐसा पृथ्वी की घूर्णन
गति के कारण होता हैं और दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी के अनुमूल चलती हैं।
– चक्रवातों का आकार अण्डाकार, गोलाकार या V.आकार का होता हैं।
चक्रवात दो प्रकार के होत हैं।
(1) शीतोष्ण-कटिबंधीय चक्रवात:-
यह अण्डाकार, गोलाकार या ट के आकार के होते हैं। जिसके कारण इन्हे लो गर्त/ट्रफ कहते हैं। शीतोष्ण
कटिबंधीय चक्रवता का व्यास 1920 किलोमीटर होता हैं। कम से कम व्यास 1040 किलोमीटर होता हैं। कभी-
कभी ये चक्रवात 10 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैले जाते हैं। ऐसे चक्रवात 35-65 अक्षांशों के मध्य
दोनो गोलार्द्ध के पाये जाते हैं।
पछुआ पवनों के कारण ये पश्चिम से पूर्व दिशा…
View original post 937 more words